देहरादून: उत्तराखंड को पूर्वोत्तर एवं हिमालय राज्यों की श्रेणी में दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डेएनयूएलएम) योजना के उत्कृष्ट क्रियान्वयन पर स्पार्क अवार्ड में तृतीय स्थान मिला है। यह जानकारी आवास व शहरी विकास मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने दी। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड ने लगातार चौथी बार डेएनयूएलएम योजना के स्पार्क रैंकिंग में अपना स्थान बरकरार रखा है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित अधिकारियों व कर्मचारियों को इसका श्रेय देते हुए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं और प्रदेश की जनता को बधाई दी है।
डॉ अग्रवाल ने बताया कि उत्कृष्टता की ओर बढ़ते कदम डेएनयूएलएम योजना में शहरी क्षेत्र में निवासरत गरीब परिवारों एवं महिलाओं का सामाजिक व आर्थिक क्षमता विकास करते हुए प्रशिक्षण एवं वित्तीय सहायता के माध्यम से रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर प्रदान करना, शहरी निराश्रितों को सुसज्जित एवं आवश्यक सेवाओं से युक्त आश्रय उपलब्ध कराना, शहरी पथ विक्रेताओं की आजीविका हेतु उपयुक्त स्थान, संस्थागत ऋण, सामाजिक सुरक्षा और कौशल उपलब्ध कराना है। बताया कि उत्तराखंड ने इन सभी में अपना बेहतर प्रदर्शन किया है।
डॉ अग्रवाल ने बताया कि राज्य में इस योजना में आतिथि तक कुल 4289 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन करते हुए कुल 36380 महिलाओं का सामाजिक एवं आर्थिक क्षमता में विकास किया गया। बताया कि 9156 शहरी गरीब लाभार्थियों को स्वरोजगार शुरू करने हेतु 7 प्रतिशत ब्याज दर पर कुल रू0 129.88 करोड़ का ऋण बैंको के माध्यम से उपलब्ध कराया गया है। बताया कि 5516 शहरी गरीब महिलाओं को एस०एच०जी० बैंक लिकेज के माध्यम से स्वरोजगार हेतु रू0 11.55 करोड़ का ऋण उपलब्ध कराया गया।
डॉ अग्रवाल ने बताया कि राज्य में शहरी क्षेत्र में फेरी व्यवसायियों का समस्त निकायों में सर्वेक्षण पूर्ण करकुल 21883 फेरी व्यवसायियों को पहचान पत्र उपलब्ध कराया गया। बताया कि प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेण्डर्स आत्मनिर्भर निधि योजना के अन्तर्गत फेरी व्यवसायियों कोविड काल में रोजगार में सहायता प्रदान करने हेतु 36693 फेरी व्यवसायियों को 9 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी पर धनराशि रू० 52.92 करोड़ का ऋण बैंको के माध्यम से उपलब्ध कराया गया।
डॉ अग्रवाल ने बताया कि राज्य में 17000 हजार फेरी व्यवसायियों को कोविड काल में राज्य सरकार द्वारा 10000 रुपए प्रति फेरी व्यवसायी को कुल 17.00 करोड़ की धनराशि उपलब्ध करायी गयी। बताया कि समस्त निकायों में तृतीय पक्ष द्वारा खुले में निवासरत बेघरों का सर्वेक्षण पूर्ण कराते हुए कुल 14 शहरी आश्रयों का निर्माण धनराशि रू0 7.88 करोड़ व्यय किया गया।
डॉ अग्रवाल ने बताया कि राज्य में 20939 शहरी गरीब लाभार्थियों के कौशल विकास हेतु निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया गया तथा 7883 लाभार्थियों को रोजगार / स्वरोजगार से जोड़ा गया है। उन्होंने बताया कि इन सभी परफॉर्मेंस के आधार पर आवासन एवं शहरी विकास मंत्रालय भारत सरकार की ओर से स्पार्क अवार्ड में तृतीय स्थान प्राप्त हुआ है।