Thursday, March 20, 2025
spot_imgspot_img
spot_imgspot_img
Homeउत्तराखंडयूसीसी पंजीकरण का निवास प्रमाणपत्र से संबंध नहीं – प्रो. सुरेखा डंगवाल

यूसीसी पंजीकरण का निवास प्रमाणपत्र से संबंध नहीं – प्रो. सुरेखा डंगवाल

पंजीकरण का उद्देश्य उत्तराखंड की डेमोग्राफी को संरक्षित करना मात्र

देहरादून: उत्तराखंड समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट बनाने वाली विशेषज्ञ समिति की सदस्य और दून विश्वविद्यालय की वीसी प्रो. सुरेखा डंगवाल ने स्पष्ट किया है कि यूसीसी के तहत होने वाले वाले पंजीकरण का उत्तराखंड के मूल निवास या स्थायी निवास प्रमाणपत्र से कोई सरोकार नहीं है। उत्तराखंड में न्यूनतम एक साल से रहने वाले सभी लोगों को इसके दायरे में इसलिए लाया गया है ताकि इससे उत्तराखंड की डेमोग्राफी संरक्षित हो सके।

यूसीसी प्रावधानों पर बयान जारी करते हुए प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि यूसीसी का सरोकार शादी, तलाक, लिव इन, वसीयत जैसी सेवाओं से है। इसे स्थायी निवास या मूल निवास से जोड़ना किसी भी रूप में संभव नहीं है। इसके अलावा यूसीसी पंजीकरण से कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलने हैं। उत्तराखंड में स्थायी निवास पूर्व की शर्तों के अनुसार ही तय होगा, समान नागरिक संहिता कमेटी के सामने यह विषय था भी नहीं। उन्होंने कहा कि यूसीसी के तहत होने वाले पंजीकरण ऐसा ही है, जैसे कोई व्यक्ति कहीं भी सामान्य निवास होने पर अपना वोटर कार्ड बना सकता है।

इसके जरिए निजी कानूनों को रैग्यूलेट भर किया गया है। ताकि उत्तराखंड का समाज और यहां की संस्कृति संरक्षित रह सके, इससे उत्तराखंड की डेमोग्राफी का संरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा। साथ ही अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर भी इससे अंकुश लग सकेगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के लोग भी रहते हैं, ये लोग उत्तराखंड में सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। ऐसे लोग अब पंजीकरण कराने पर ही सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे। यदि यह सिर्फ स्थायी निवासियों पर ही लागू होता तो, अन्य राज्यों से आने वाले बहुत सारे लोग इसके दायरे से छूट जाते, जबकि वो यहां की सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते रहते।

दूसरी तरफ ऐसे लोगों के उत्तराखंड से मौजूद विवाह, तलाक, लिव इन जैसे रिश्तों का विवरण, उत्तराखंड के पास नहीं होता। इसका मकसद उत्तराखंड में रहने वाले सभी लोगों को यूसीसी के तहत पंजीकरण की सुविधा देने के साथ ही सरकार के डेटा बेस को ज्यादा समृद़ध बनाना है। प्रो सुरेखा डंगवाल के मुताबिक इससे विवाह नामक संस्था मजबूत ही होगी, जो हमारे समाज की समृद्धि का आधार रही है।

यूसीसी – दस्तावेजों की जांच का अधिकार सिर्फ रजिस्ट्रार के पास

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद से, संहिता के तहत हर तरह के पंजीकरण हो रहे। इस बीच समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट और इसके लिए नियम बनाने वाली कमेटी की सदस्य प्रो. सुरेखा डंगवाल ने स्पष्ट किया है कि यूसीसी के तहत लिव इन पंजीकरण के लिए दिए गए दस्तावेजों की जांच सिर्फ रजिस्ट्रार के स्तर पर की जाएगी, इसमें किसी और एजेंसी की भूमिका नहीं है।

प्रो सुरेखा डंगवाल ने बयान जारी करते हुए बताया कि यूसीसी नियमों के अनुसार लिव इन आवेदन प्राप्त होने पर रजिस्ट्रार द्वारा जिला पुलिस अधीक्षक के माध्यम से स्थानीय पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी को लिव इन संबंध का कथन मात्र इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध कराया जाएगा, तथा स्थानीय पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी सहित किसी भी व्यक्ति की इस अभिलेख तक पहुंच सिर्फ जिला पुलिस अधीक्षक की निगरानी में हो सकेगी।

नियमों में स्पष्ट किया गया है कि पुलिस के साथ सूचना साझा करते समय निबंधक को स्पष्ट रूप से उल्लेख करना होगा कि लिव इन संबंध के कथन से संबंधित सूचना मात्र अभिलेखीय प्रयोजन के लिए उपलब्ध कराई जा रही है। इससे साफ है कि इस तरह के आवेदन में उच्च स्तर की गोपनीयता बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि चूंकि लिव इन से पैदा बच्चे को भी जैविक संतान की तरह पूरे अधिकार दिए गए हैं, इस तरह लिव इन पंजीकरण से विवाह नामक संस्था मजबूत ही होगी, जो हमारे समाज की समृद्धि का आधार रही है।

RELATED ARTICLES

Most Popular