तो ग्लेशियर इलाके में ताल के टूटने से मची तबाही
उत्तरकाशी: गंगोत्री क्षेत्र के निकट ग्लेशियर वाले इलाके में भारी वर्षा से ताल टूटने की वजह से
पल भर में धनौरी कस्बा तबाह हुआ। नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर धराली के कई मकान,होटल, होम स्टे, बाजार व सेब के बाग कुछ ही पल भर में ही नेस्ता नाबूद हो गए। धराली की आपदा पर भूगोल के प्रोफेसर डी डी चौनियाल ने दी विशेष जानकारीसाझा की।
गढ़वाल केंद्रीय विवि व दून विवि में कार्यरत रहे प्रो डी डी चौनियाल ने एक वीडियो के माध्यम से बताया कि धराली की तबाही 13 जून 2013 की केदारनाथ आपदा से मिलती जुलती है। जिस तरह केदारनाथ में चोराबारी ताल एक झटके में टूटा और तबाही मचा गया। ठीक ऐसा ही 5 अगस्त 2025 को हुआ।
धराली के निकट के भारी बारिश की वजह से ग्लेशियर ज़ोन में बने छोटे छोटे ताल टूटते चले गए। उच्च इलाके के इन तालों के टूटने से भारी मात्रा में मलबा,बोल्डर और पानी ने धराली कस्बे की ओर बहने वाली खीर गंगा में उथल पुथल मचा दी।
तीव्र ढलान वाली खीर गंगा में अचानक आई बाढ़ ने एक झटके में सब कुछ लीला
और फिर शांत हो गया । ठीक केदारनाथ आपदा की तरह।
प्रो. चौनियाल ने धराली इलाके की गूगल इमेज के जरिये समझाया कि खीर गंगा ने बीते सालों में भागीरथी में मिलने वाला अपना पुराना रास्ता बदला था। इसके बाद खीर गंगा के इस पुराने मार्ग में कई निर्माण कार्य हुए। मकान, होटल बने और बाजार बस गया।

उन्होंने बताया कि मंगलवार ,पांच अगस्त को खीर गंगा में आई बाढ़ ने बाईं तरफ के पुराने रास्ते को ही पकड़ लिया। इसी जगह हुए निर्माण कार्य को रौंदते हुए भागीरथी में जा मिली। यह सब कुछ ही सेकेंड्स में हुआ। जबकि खीर गंगा ने दाईं तरफ के हिस्से में बने निर्माण कार्य को जानलेवा नुकसान नहीं पहुंचाया।
गंगोत्री हाईवे के निकट स्थित धराली कस्बे में नियमों के विपरीत हुए निर्माण कार्य ही खीर गंगा की चपेट में आये।
धराली की दर्दनाक आपदा ने एक बार फिर नदियों,गाड़ गदेरे के निकट या उन पर कब्जा कर बन रहे अवैध निर्माण कार्यों पर सवालिया निशान लगा दिए।
