Sunday, December 21, 2025
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राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के सदस्य ने एफआरआई का दौरा किया

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संस्थान के भीतर अनुसूचित जनजातियों के लिए सुरक्षा उपायों की समीक्षा की

भारत की सबसे महंगी लकड़ी की प्रजातियों के साथ-साथ महत्वपूर्ण वाणिज्यिक लकड़ी के बारे में जानकारी भी आयोग के साथ साझा की गई

देहरादून: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) के एक प्रतिष्ठित सदस्य निरुपम चकमा ने 28 मई, 2025 को वन अनुसंधान संस्थान (FRI), देहरादून का दौरा किया । इस दौरे का उद्देश्य संस्थान के भीतर अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन की समीक्षा करना था। बैठक की सह-अध्यक्षता वन अनुसंधान संस्थान के निदेशक द्वारा की गई तथा इस बैठक मे वन अनुसंधान संस्थान और NCST के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। वन अनुसंधान संस्थान निदेशक द्वारा संगठनात्मक ढांचे पर प्रकाश डालते हुए संस्थान के भीतर ST कर्मचारियों की स्थिति और प्रतिनिधित्व के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए एक व्यापक प्रस्तुति दी गई।

बैठक के बाद, संस्थान निदेशक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ माननीय NCST सदस्य ने संस्थान के विभिन्न संग्रहालयों का दौरा किया। प्रतिनिधिमंडल ने संस्थान के व्यापक विरासत संग्रह के लिए गहरी प्रशंसा व्यक्त की तथा भारत की समृद्ध वानिकी विरासत को संरक्षित करने में संस्थान के महत्व को स्वीकार किया। आयोग ने ‘हर्बेरियम’ और जाइलारियम का भी दौरा किया, जहां भारत और दुनिया भर के जंगली पेड़ों और पौधों के अद्भुत हर्बेरियम संग्रह के माध्यम से भारत की अद्भुत वनस्पति विविधता का प्रदर्शन किया गया है,

हर्बेरियम संग्रह मे 3,50,000 नमूने शामिल हैं। आयोग को ‘संजीवनी बूटी’ के बारे में जानने में दिलचस्पी थी, और बुंदेलखंड क्षेत्र से एक नमूना उनके सामने प्रदर्शित भी किया गया। ‘ज़ाइलारियम’ के भ्रमण के दौरान, भारत और 45 अन्य देशों की लकड़ी के 20,000 नमूने उन्हें दिखाए गए। भारत की सबसे महंगी लकड़ी की प्रजातियों के साथ-साथ महत्वपूर्ण वाणिज्यिक लकड़ी के बारे में जानकारी भी आयोग के साथ साझा की गई, जिसमें लाल चंदन, चंदन, सागौन, साल, शीशम आदि शामिल हैं। आयोग ने वन संवर्द्धन, इमारती लकड़ी, गैर-इमारती वन उत्पाद और वन कीट विज्ञान संग्रहालयों का भी दौरा किया। संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने इन संग्रहालयों में रखे गए विभिन्न प्रदर्शनों के बारे में बताया। अपने समापन भाषण में, उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की ओर से वन अनुसंधान संस्थान की निदेशक और कर्मचारियों द्वारा दी गई जानकारी और समृद्ध अनुभव के लिए हार्दिक धन्यवाद दिया।

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