उत्तराखंड के सेनानियों के योगदान को बताया अमूल्य
देहरादून: हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान किया।
कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री ने नरेन्द्र कुमार मित्तल, रणजीत सिंह ज्याला सहित 10 लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय था, जब संसद को बंधक बनाया गया, प्रेस की आज़ादी पर सेंसरशिप लगी और नागरिकों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, जयप्रकाश नारायण, नानाजी देशमुख, जॉर्ज फर्नांडीज और चंद्रशेखर जैसे नेताओं ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया।
धामी ने कहा कि उत्तराखंड के सपूतों ने भी इस लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई। बागेश्वर के चंद्र सिंह राठौर ने शिक्षक रहते हुए छात्रों में लोकतंत्र की चेतना जगाई और पौड़ी के गोविंद राम ढींगरा को विचारों के कारण जेल में डाला गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकतंत्र सेनानियों के योगदान को याद रखने और आपातकाल की सच्चाई को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की। गृह मंत्री अमित शाह द्वारा मोदी के आपातकालीन अनुभवों पर आधारित पुस्तक ‘द इमरजेंसी डायरीज’ का विमोचन भी किया गया है।
धामी ने कहा कि लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान और कल्याण सरकार की प्राथमिकता है। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सांसद महेंद्र भट्ट सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।