Monday, October 20, 2025
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बदरीनाथ धाम के पास टूटा ग्लेशियर, मचा हड़कंप

कंचन गंगा घाटी में दिखा एवलांच, राहत की बात—किसी जनहानि की खबर नहीं

देहरादून/चमोली: बदरीनाथ धाम के पास कंचन गंगा घाटी में शुक्रवार सुबह ग्लेशियर टूटने की घटना सामने आई, जिससे इलाके में कुछ देर के लिए हड़कंप मच गया। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। राहत की बात यह है कि इसमें किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। पुलिस ने इस घटना की पुष्टि की है और कहा है कि यह एक सामान्य हिमस्खलन (एवलांच) था।

वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि कैसे कंचन गंगा के ऊपर से बर्फ का बड़ा हिस्सा टूटकर तेजी से नीचे की ओर खिसक रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, बदरीनाथ के ऊपरी क्षेत्रों में हाल के दिनों में हुई भारी बर्फबारी और अब चटक धूप निकलने के कारण ग्लेशियर की ऊपरी परतों में पिघलन शुरू हो गई है, जिससे यह हिमस्खलन हुआ।

मौसम के बदलते तेवरों का असर
इन दिनों उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में दिन में तेज धूप और रात में ठंड का तापमान होने के चलते ग्लेशियरों में दरारें पडऩे और बर्फ के हिस्से खिसकने की घटनाएं बढ़ गई हैं। बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के आसपास के क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं अक्सर देखने को मिलती हैं।

पुलिस ने बताई वजह
चमोली के पुलिस अधीक्षक सर्वेश पवार ने कहा कि यह मौसम की सामान्य प्रक्रिया है। धूप निकलने के बाद ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फ का फिसलना स्वाभाविक है। इसमें घबराने या अफवाह फैलाने की जरूरत नहीं है। हमारी टीम ने मौके का निरीक्षण किया है और यह एक सामान्य हिमस्खलन पाया गया है, जिससे कोई नुकसान नहीं हुआ।

28 फरवरी को माणा में हुआ था बड़ा हिमस्खलन
इसी साल 28 फरवरी को चमोली जिले के माणा क्षेत्र में बड़ा हिमस्खलन हुआ था। चीन सीमा के पास हुई इस घटना में काम कर रहे 54 मजदूर दब गए थे। भारतीय सेना और आईटीबीपी की तत्परता से 46 मजदूरों को बचा लिया गया था, जबकि आठ लोगों की मौत हो गई थी।

प्रशासन की अपील
बदरीनाथ धाम और उसके आसपास मौसम इस समय साफ है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और मौसम विभाग या जिला प्रशासन द्वारा जारी सूचनाओं पर ही भरोसा करें।

क्यों आता है एवलांच

  • ऊंचाई वाले इलाकों में दिन में तेज धूप और रात में ठंडक से बर्फ की परतों में दरारें पड़ जाती हैं।
  • तापमान बढऩे पर सतह पर जमी बर्फ पिघलती है और गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे की ओर खिसक जाती है।
  • ऊंचाई पर प्राय: आबादी नहीं होती, लेकिन यदि एवलांच निचली घाटियों तक आ जाए, तो नुकसान की आशंका बढ़ जाती है।
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