देहरादून: आखिरकार दो महीने बाद साफ हो गया है कि दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर का निर्माण नहीं होगा. इसको लेकर श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट की तरफ से लेटर भी जारी किया गया है. वहीं, लेटर में बताय गया है कि ऑनलाइन और QR कोड से दान लेने की प्रकिया को भी बंद कर दिया गया है. ये लेटर श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट की नई अध्यक्ष सुमन मित्तल की तरफ से जारी किया गया है.
श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट की नई अध्यक्ष सुमन मित्तल ने लेटर जारी कर बताया कि सभी ट्रस्टी दिल्ली के बख्तावर रोड हिरणकी बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर का निर्माण कार्य करा रहे थे, लेकिन उत्तराखंड के कुछ लोगों ने इस मंदिर के निर्माण का विरोध किया और अपनी आपत्ति भी जताई. इसके बाद उन्हें ये अहसास हुआ है कि दिल्ली के केदारनाथ मंदिर बनने से लोगों की धार्मिक भवनाओं को ठोस पहुंची हैं. इसीलिए ट्रस्ट ने दिल्ली में केदारनाथ धाम बनाने का कार्य त्याग दिया है. ट्रस्ट केदारनाथ धाम से कोई मंदिर नहीं बना रहा है. वहीं श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट बंद करने की प्रकिया पहले ही शुरू कर दी गई है.
क्या है दिल्ली के केदारनाथ मंदिर विवाद?: दरअसल, दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ धाम के मंदिर का निर्माण कार्य कराया जा रहा था. जिसका भूमि पूजन भी दो महीने पहले ही हुआ था. मंदिर के भूमि पूजन में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत हरिद्वार के कई साधु-संत भी शामिल हुए थे. इसके बाद से ही दिल्ली में केदारनाथ धाम मंदिर का विरोध शुरू हो गया है. कांग्रेस ने भी इस मामले पर जमकर हंगामा किया और बीजेपी सरकार को घेरा था.
विवाद बढ़ा तो खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस मामले पर आगे आए और उन्होंने कैबिनेट में प्रस्ताव पास किया कि उत्तराखंड के चारधाम के नाम से कहीं पर कोई मंदिर नहीं बनाया जा सकता है. यदि कोई ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी.
दिल्ली मंदिर के ट्रस्ट पर हो रहे थे सवाल खड़े: वहीं इस विवाद के बाद श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के तत्कालीन अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला देहरादून आए और उन्होंने साफ किया कि वो मंदिर का नाम बदलने को तैयार है. अब यानी दिल्ली में केदारनाथ धाम के नाम से कोई मंदिर नहीं बनाया जाएगा, लेकिन फिर भी दिल्ली में इसी नाम से मंदिर का निर्माण कार्य जारी थी, और ट्रस्ट को मंदिर के नाम पर चंदा भी मिल रहा था. ऐसे में लगातार श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट पर सवाल खड़े किए जा रहे थे.
वहीं, अब दो महीने बाद श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने अपना इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह बनी नई अध्यक्ष सुमन मित्तल ने प्रेस नोट जारी किया है. अध्यक्ष सुमन मित्तल ने प्रेस नोट के जरिए बताया कि सुरेंद्र रौतेला ने श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. साथ ही बताया कि फिलहाल मंदिर के निर्माण पर रोक लगी है. मंदिर के नाम पर दान भी नहीं लिया जाएगा.
कांग्रेस का बयान: दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बनने का कांग्रेस ने भी विरोध किया था. कांग्रेस इस मुद्दे को केदारनाथ उपचुनाव में भुनाने के प्रयास में थी. इसीलिए कांग्रेस ने हरिद्वार से केदारनाथ तक केदारनाथ बचाव यात्रा भी निकाली थी. वहीं अब इस मामले पर कांग्रेस प्रवक्ता गरीमा दसौनी ने कहना है कि भले ही दिल्ली में अब केदारनाथ का मंदिर न बन रहा हो, लेकिन जनता यह सवाल जरूर पूछेगी कि आखिरकार बीजेपी ने ऐसा क्यों किया? मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ये सब करने की क्या जल्दबाजी थी. गरीमा का कहना है कि केदारनाथ की जनता इस बात को बखूबी जान गई है कि बीजेपी धर्म के नाम पर सिर्फ दिखावा कर रही है और कुछ नहीं.
बीकेटीसी अध्यक्ष का बयान: वहीं, बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का कहना है कि यह पहले ही स्पष्ट हो गया था कि दिल्ली में केदारनाथ धाम के नाम से कोई मंदिर नहीं बनेगा. सरकार भी ये पहले ही साफ कर चुकी थी. हालांकि अब सुरेंद्र रौतेला ने श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट के पद से इस्तीफा भी दे दिया है और पत्र के जरिए दिल्ली केदारनाथ मंदिर निर्माण को लेकर सब कुछ साफ हो गया, जो अच्छी बात है.
बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पहले ही सख्त कानून बनाकर यह स्पष्ट कर दिया था कि उत्तराखंड के मंदिरों के नाम पर कोई अन्य जगहों पर चंदा इत्यादि नहीं लेगा. रही बात कांग्रेस की तो उनके नेता तो हमेशा से धर्म के नाम पर नौटंकी करते रहे हैं, जिससे उन्हें बचान चाहिए.
बीजेपी ने भी दिया जवाब: बीजेपी ने इस मामले पर प्रेस नोट जारी कर अपनी प्रतिक्रिया दी और इसे उनकी सरकार की जीत बताया. बीजेपी मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान की तरफ से जारी किए गए बयान में कहा गया कि मंदिर का निर्माण बंद हो गया है और यह सरकार के सख्त कानून की वजह से है. इस पर कांग्रेस अब कुछ भी हल्ला करती रहे उसके मुंह से धर्म की बातें अच्छी नहीं लगती.