देहरादून: दस मई को शुरू हुई उत्तराखंड चारधाम यात्रा में अभीतक चार श्रद्धालुओं की जान जा चुकी है, जिसमें तीन भक्तों की मौत यमुनोत्री धाम हुई है. वहीं चौथे की जान बदरीनाथ धाम में गई है. चारों श्रद्धालुओं की मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है. तीन दिनों के अंदर चारधाम में चार यात्रियों की मौत से शासन-प्रशासन के भी हाथ पैर फूल गए है. मामले की गंभीरता को देखते हुए आज सोमवार 13 मई को स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने विभागीय अधिकारियों के साथ स्वास्थ्य महानिदेशालय में बैठक की.
स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह ने कहा कि चारोंधाम में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर आज बैठक की गई है. बैठक लेने के लिए निर्वाचन आयोग से परमिशन ली गई थी. निर्वाचन आयोग से परमिशन मिलने के बाद सभी जिलों के सीएमओ और विभागीय अधिकारी के साथ बैठक की गई.
मंत्री रावत ने बताया कि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओ में से करीब 38 हज़ार श्रद्धालुओ की स्क्रीनिंग की गई है. इसके साथ ही यात्रियों के लिए हिंदी और इंग्लिश समेत तमाम स्थानीय भाषाओं में हेल्थ संबंधित एसओपी (Standard operating procedure) जारी की गई है. यात्रियों की सुविधा के लिए टोल फ्री नंबर 104 जारी किया गया. यात्रियों को तत्काल स्वास्थ्य सुविधाओ का लाभ मिले इसके लिए एंबुलेंस का रिस्पांस टाइम 15 से 18 मिनट रखा गया है.
इसके अलावा यात्रियों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं की मॉनिटरिंग के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की गई है, जिसके तहत स्वास्थ्य सचिव को केदारनाथ धाम, स्वास्थ्य अपर सचिव को बदरीनाथ धाम और ज्वाइंट सेक्रेटरी एवं महानिदेशक को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की जिम्मेदारी दी गई है. सभी अधिकारी हर दूसरे- तीसरे दिन धामों के स्वास्थ्य सुविधाओ की मॉनिटरिंग करेंगे, ताकि श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य सुविधाओ का लाभ मिल सके.
मंत्री रावत ने बताया कि चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों के लिए दवाई की व्यवस्था, 108 एंबुलेंस की व्यवस्था के साथ ही केदारनाथ धाम में हर दो किलोमीटर पर स्वास्थ्य कैंप लगाए गए है, जहां पर दवाइयों की प्रयाप्त व्यवस्था है. कुल मिलाकर पिछले साल की तुलना में अधिक व्यवस्थाएं की गई है.
चारधाम यात्रा में स्वास्थ्य सुविधाओ के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने प्रयाप्त धनराशि जारी की गई है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि चारधाम यात्रा में जिन श्रद्धालुओ की मौत हुई है वो हृदय गति रूकने की वजह से हुई है, लेकिन अस्पताल में किसी भी श्रद्धालु की मौत नहीं हुई है.
इस साल यात्रा के दौरान 50 साल से अधिक उम्र वाले यात्रियों का अनिवार्य रूप से हेल्थ स्क्रीनिंग कराया जा रहा है. इसके साथ ही सभी जिलाधिकारियों और पुलिस प्रशासन से कहा है कि एसओपी का पालन कराया जाए. इस दौरान किसी भी यात्री को अगर रेस्ट कराने की जरूरत होगी तो उसको रेस्ट कराया जाए.
बदरीनाथ में तीर्थयात्री की मौत: 12 मई को कपाट खुलने के बाद बदरीनाथ धाम में 75 साल की महिला की मौत हो गई. महिला का नाम लक्ष्मी देवी है, जो राजकोट गुजरात की रहने वाली थी. मौता का कारण हृदय गति रुकना बताया जा रहा है. लक्ष्मी देवी अपने परिवार के साथ भगवान बदरी विशाल के दर्शनों के लिए बदरीनाथ धाम आई थी कि अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई थी, जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों उन्हें मृत घोषित कर दिया.