Friday, November 22, 2024
spot_imgspot_img
spot_imgspot_img
Homeराजनीतिविशेष सत्र का ऐतिहासिक सरप्राइज, 27 सालों से पेंडिंग महिला आरक्षण बिल...

विशेष सत्र का ऐतिहासिक सरप्राइज, 27 सालों से पेंडिंग महिला आरक्षण बिल कैबिनेट से पास

नई दिल्ली: संसद के विशेष सत्र के बीच कैबिनेट की अहम बैठक हुई। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में महिला आरक्षण बिल (Women’s Reservation Bill) को मंजूरी मिल गई है। इस बिल को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने आखिरकार इस बिल को मंजूरी दे दी। इस मंजूरी के बाद महिला आरक्षण बिल (Women’s Reservation Bill)को लोकसभा में पेश किया जाएगा।

इस बिल (Women’s Reservation Bill) में क्या है?

महिला आरक्षण विधेयक (Women’s Reservation Bill) में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी या एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। विधेयक में 33 फीसदी कोटा के भीतर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है। विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती हैं। इस संशोधन अधिनियम के लागू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा।

27 सालों से पेंडिंग है बिल (Women’s Reservation Bill)

करीब 27 सालों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक अब संसद के पटल पर आएगा। आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 15 फीसदी से कम है, जबकि राज्य विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व 10 फीसदी से भी कम है। इस मुद्दे पर आखिरी बार कदम 2010 में उठाया गया था, जब राज्यसभा ने हंगामे के बीच बिल पास कर दिया था और मार्शलों ने कुछ सांसदों को बाहर कर दिया था, जिन्होंने महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का विरोध किया था। हालांकि यह विधेयक रद्द हो गया क्योंकि लोकसभा से पारित नहीं हो सका था।

बीजेपी और कांग्रेस दोनों का समर्थन

बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों ने हमेशा इसका समर्थन किया। हालांकि कुछ अन्य दलों ने महिला कोटा के भीतर ओबीसी आरक्षण की कुछ मांगों को लेकर इसका विरोध किया। अब एक बार फिर कई दलों ने इस विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक लाने और पारित करने की जोरदार वकालत की, लेकिन सरकार की ओर से कहा गया है कि उचित समय पर उचित निर्णय लिया जाएगा।

सपा के दो सदस्यों ने किया था विरोध

कमेटी के दो सदस्य, जोकि समाजवादी पार्टी के थे, वीरेंद्र भाटिया और शैलेन्द्र कुमार ने यह कहते हुए असहमति जताई कि वे महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने के खिलाफ नहीं थे, लेकिन जिस तरह से इस विधेयक का मसौदा तैयार किया गया था, उससे असहमत थे। उन्होंने सिफारिश की थी कि प्रत्येक राजनीतिक दल को अपने 20 प्रतिशत टिकट महिलाओं को वितरित करने चाहिए, आरक्षण 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

ओबीसी और अल्पसंख्यकों की महिलाओं के लिए एक कोटा होना चाहिए। स्थायी समिति ने प्रतिनिधित्व बढ़ाने के अन्य तरीकों पर भी विचार किया। इस कमेटी को एक सुझाव मिला था कि राजनीतिक दलों के लिए कुछ फीसदी सीटों को महिलाओं के लिए आरक्षित करने के लिए नामांकित किया जाए, लेकिन उसे लगा कि जिन सीटों पर नुकसान की संभावना है, वहां महिलाओं को नामांकित करके पार्टियां खाना-पूर्ति कर सकती हैं।

यह भी पढ़े: महिला आरक्षण विधेयक पर भड़की AAP, कहा- यह ‘महिला बेवकूफ बनाओ बिल’ है

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_imgspot_img

Video Advertisment

- Advertisment -spot_imgspot_img

Most Popular