कुरुक्षेत्र: कुरुक्षेत्र गुरुकुल में आयोजित दो दिवसीय आर्य प्रतिनिधि महासम्मेलन आज सम्पन्न हो गया है. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में समापन समारोह पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने शिरकत की. मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि भारत को पुनः:विश्व गुरु बनाने के लिए युवा पीढ़ी को महर्षि दयानंद की शिक्षाओं को अपने जीवन में धारण करने की जरूरत है. इसके लिए युवा पीढ़ी को अच्छी शिक्षा व अच्छे संस्कार देने चाहिए.
सीएम सैनी ने दी शुभकामनाएं: इस कार्य को गुरुकुल कुरुक्षेत्र के साथ साथ आर्य समाज की तरफ से चलाए जा रहे अन्य गुरुकुल संस्थाओं में बखूबी किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने आर्य समाज के प्रणेता महर्षि दयानंद के 200वें जयंती वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि देश का प्रगति व तरक्की तथा मानव कल्याण के लिए आर्य समाज के प्रतिनिधियों ने दो दिवसीय महासम्मेलन में गहन विचार-मंथन किया. ताकि समाज को एक नई दिशा मिल सके. इसके लिए आर्य समाज के लोग बधाई के पात्र है.
1875 में आर्य समाज का गठन: सीएम नायब सैनी ने कहा कि महर्षि दयानंद ने 1875 में आर्य समाज का गठन किया. इस समाज ने धर्म, समाज और राष्ट्र के लिए अभूतपूर्व कार्य किए. इस समाज ने सोते हुए देश को जगा कर देश और धर्म की रक्षा की. इतना ही नहीं वैदिक आदर्शों और संस्कृति के प्रति निष्ठा जगाई. इसके अलावा जातिवाद का अंत करने, सबको पढ़ने का अधिकार, स्त्री शिक्षा, विधवा विवाह, छुआछूत को समाप्त करने व गौ रक्षा आदि के लिए उल्लेखनीय कार्य किए है.
भगत सिंह का किया जिक्र: नायब सैनी ने कहा कि जब भारत परतंत्र था तब महर्षि दयानंद ने देश में स्वराज की मशाल जलाने का काम किया था. देश की आजादी के आंदोलन में आर्य समाज के महानुभाव स्वामी श्रद्धानंद, महात्मा हंसराज, लाला लाजपत राय, वीर सावरकर और राम प्रसाद बिस्मिल जैसे महान देशभक्तों की सूची है. अमर शहीद मदन लाल ढींगरा और शहीदे आजम भगत सिंह जैसे नौजवानों के जीवन पर आर्य समाज की गहरी छाप थी.
‘भारत को विश्व गुरु बनाने का प्रयास’: वहीं, इस दो दिवसीय सम्मेलन में आर्य समाज के प्रतिनिधियों से ना केवल अपील की गई. अपितु संकल्प दिलाया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करने के लिए भारत को फिर से विश्व गुरु बनाना है. इसके लिए देश के नागरिकों को अच्छी शिक्षा और संस्कार तथा देश की प्राचीन संस्कृति और धरोहर के प्रति आमजन को जागरूक करना है. गुरुकुल कुरुक्षेत्र की 200 एकड़ भूमि पर की जा रही है. प्राकृतिक खेती और गुरुकुल कुरुक्षेत्र में विद्यार्थियों को दी जा रही अच्छी शिक्षा और संस्कारों पर विस्तृत प्रकाश डाला.